
Contents
- 1 Ambedkarvaad:डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन परिचय!
- 1.1 Ambedkarvaad:Ambedkarvaad:डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर:एक अभुतपुर्व ,अविस्मरणीय तथा प्रेरणादायक संघर्ष की गाथा !
- 1.2 प्रस्तावना :
- 1.3 डॉ.भिमराव अंबेडकर का आरंभिक जीवन तथा जन्म-
- 1.4 बाबासाहेब की शिक्षा एवं बौद्धिक उत्कर्ष कैसे हुआ?–
- 1.4.1 बाबासाहेब विश्व के सबसे शिक्षित नेता ,विद्वानो में से एक आज भी माने जाते हैं।
- 1.4.2 1. “डॉ. अंबेडकर भारत के पहले आधुनिक अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे। उनका योगदान किसी भी अंतरराष्ट्रीय नेता से कम नहीं है।” — Jérôme Marrel (फ्रेंच राजनयिक) 2. “Ambedkar will be remembered as a symbol of human rights not only in India but across the world.” “अंबेडकर को मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में याद किया जाएगा।” — Gail Omvedt (अमेरिकी समाजशास्त्री व लेखक) 3. “He was a valiant fighter against caste and inequality – his legacy is not just Indian, it’s global.” “वह जाति और असमानता के खिलाफ एक साहसी योद्धा थे – उनकी विरासत केवल भारतीय नहीं, बल्कि वैश्विक है।” — Anand Teltumbde (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित लेखक व मानवाधिकार कार्यकर्ता)
- 1.5 बाबासाहेब अंबेडकर का सामाजिक संघर्ष और आंदोलन—-
- 1.5.1 डॉ. बी. आर. अंबेडकर द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें:
- 1.5.2 1. जाति का उन्मूलन (Annihilation of Caste) – 1936 – हिंदू समाज की जाति व्यवस्था की तीव्र आलोचना। 2. रुपये की समस्या: उसका उद्भव और समाधान (The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution) – 1923 – लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में प्रस्तुत थीसिस पर आधारित। 3. बुद्ध और उनका धम्म (The Buddha and His Dhamma) – 1957 (मरणोपरांत प्रकाशित) – बुद्ध के जीवन और उनके धम्म की विस्तृत व्याख्या। 4. शूद्र कौन थे? (Who Were the Shudras?) – 1946 – शूद्र वर्ण की उत्पत्ति और जाति व्यवस्था की आलोचना। 5. अस्पृश्य कौन थे और वे अस्पृश्य क्यों बने? (The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables?) – 1948 – अस्पृश्यता की ऐतिहासिक जड़ें और कारणों का विश्लेषण। 6. भाषाई राज्यों पर विचार (Thoughts on Linguistic States) – 1955 – भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन पर विचार। 7. पाकिस्तान या भारत का विभाजन (Pakistan or The Partition of India) – 1940 – विभाजन के कारणों और राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण। 8. कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया? (What Congress and Gandhi Have Done to the Untouchables) – 1945 – गांधी और कांग्रेस की दलित नीति की आलोचना। 9. ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास (The Evolution of Provincial Finance in British India) – 1925 – ब्रिटिश भारत की वित्तीय प्रणाली पर आधारित थीसिस। 10. प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति (Revolution and Counter-Revolution in Ancient India) – (अपूर्ण) – भारतीय इतिहास का सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से विश्लेषण। 11. हिंदू धर्म में पहेलियाँ (Riddles in Hinduism) – (मरणोपरांत प्रकाशित) – हिंदू धर्मग्रंथों और मान्यताओं की आलोचनात्मक व्याख्या। 12. राज्य और अल्पसंख्यक (States and Minorities) – 1947 – संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा पर प्रस्ताव।
- 1.6 बौद्ध धर्म की दीक्षा एवं अंतिम समय–
- 1.7 समारोप —
Ambedkarvaad:डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन परिचय!
Ambedkarvaad:Ambedkarvaad:डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर:एक अभुतपुर्व ,अविस्मरणीय तथा प्रेरणादायक संघर्ष की गाथा !
(Ambedkarvaad Introductory Article by Dr.Nitin Pawar,Editor – Satyashodhak News 7 April 2025)
Ambedkarvaad: डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर प्राथमिक जीवन परिचय इस लेख में मैने दिया है!डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जी का पुरा जीवन
एक अभुतपुर्व ,अविस्मरणीय तथा प्रेरणादायक संघर्ष की गाथा है| भारत सरकार ने बाबासाहेब अंबेडकर के संबंधी लेखन,फोटो,किताबे आदी उपलब्ध हुए सामग्री के आधार पर 24 खंडों का प्रकाशन किया है| यहां हमारे वाचकों को हमारे ,’आंबेडकरवाद ‘ तथा ,’सत्यशोधक न्युज हिंदी ‘ केटेगरी के अंदर ये इस साल की ,’अंबेडकर जयंती 2025 ‘ पर एक पांच लेखों का संग्रह हम भेंट दे रहे है| आशा है की हमारे पाठक इसका स्विकार करेंगे | जादा गहन विषयों पर हम आगे लिखने ही वाले है |
प्रस्तावना :
डॉ. भीमराव तथा बाबासाहेब अंबेडकर को ‘बाबासाहेब अंबेडकर’ के नाम से भी जाना जाता है| भारत के इतिहास के वो सबसे बडे एक ऐसे महानायक थे जिन्होंने सामाजिक अन्याय के खिलाफ ऐतिहासिक, अविस्वनीय आवाज उठाई| करोड़ों दलित,अछुत और देश के अन्य शोषितों को एक नई राह दिखाई। उनके जीवन का संघर्ष,उनकी शिक्षा एवं समाज सुधार एक ‘क्रांती‘ का प्रतीक बन गया है।
डॉ.भिमराव अंबेडकर का आरंभिक जीवन तथा जन्म-
डॉ.भिमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू छावनी/Camp में एक अछुत परिवार में हुआ था। छु आछुत एक सामाजिक प्रचलन था| हिंदु समाज का एक दुनिया सबसे ,’बदनाम’ रिवाज था|बाबासाहेब अंबेडकर बेडकर उस वक्त के एक अछुत समझने जाने वाली महाराष्ट्र की महार जाति से थे|ऐसी देशभर में अनेक जातीयां उस समय समाज में अछूत मानी जाती थी।बाबासाहेब के बचपन में उन्हें अछुतता के कारण सामाजिक भेदभाव तथा अपमान का सहना पड़ा| पर बाबासाहेब अंबेडकर ने कभी हार न मानी|
बाबासाहेब की शिक्षा एवं बौद्धिक उत्कर्ष कैसे हुआ?–
बाबासाहब अंबेडकर जी को स्कूल में भेदभाव झेलना पडा| लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।बाबासाहेब अंबेडकरजी ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन किया |बाद में स्कॉलरशिप लेकर अमरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से M.A. और Ph.D. की डिग्री हासिल की।बाबासाहेब अंबेडकर बाद में ‘लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स’ से भी उन्होंने कानून/Law और अर्थशास्त्र/Economics की पढ़ाई की।
बाबासाहेब विश्व के सबसे शिक्षित नेता ,विद्वानो में से एक आज भी माने जाते हैं।
1. “डॉ. अंबेडकर भारत के पहले आधुनिक अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे। उनका योगदान किसी भी अंतरराष्ट्रीय नेता से कम नहीं है।”
— Jérôme Marrel (फ्रेंच राजनयिक)
2. “Ambedkar will be remembered as a symbol of human rights not only in India but across the world.”
“अंबेडकर को मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में याद किया जाएगा।”
— Gail Omvedt (अमेरिकी समाजशास्त्री व लेखक)
3. “He was a valiant fighter against caste and inequality – his legacy is not just Indian, it’s global.”
“वह जाति और असमानता के खिलाफ एक साहसी योद्धा थे – उनकी विरासत केवल भारतीय नहीं, बल्कि वैश्विक है।”
— Anand Teltumbde (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित लेखक व मानवाधिकार कार्यकर्ता)
बाबासाहेब अंबेडकर का सामाजिक संघर्ष और आंदोलन—-
अस्पृश्यता की पद्धती के खिलाफ उन्होंने कई आंदोलन किये– जैसे महाराष्ट्र के रायगड जिले में महाड़ सत्याग्रह, चवदार तालाब सत्याग्रह, कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन उनमें महत्वपुर्ण आंदोलन है|उन्होंने “बहिष्कृत भारत“, “जनता” जैसे पत्र के माध्यम से अछुत,दलितों को शिक्षित तथा जागरूक करने में कार्य किया।
उन्होंने कहा हैं “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।”बाबासाहेब अंबडकर भारत के संविधान के प्रमुग निर्माता हैं|भारत को अंग्रेज़ोंसे मिली स्वतंत्रता के बाद डॉ.भिमराव अंबेडकर को संविधान निर्माण समिति की अध्यक्षता मिली।
डॉ. बी. आर. अंबेडकर द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें:
1. जाति का उन्मूलन (Annihilation of Caste) – 1936
– हिंदू समाज की जाति व्यवस्था की तीव्र आलोचना।
2. रुपये की समस्या: उसका उद्भव और समाधान (The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution) – 1923
– लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में प्रस्तुत थीसिस पर आधारित।
3. बुद्ध और उनका धम्म (The Buddha and His Dhamma) – 1957 (मरणोपरांत प्रकाशित)
– बुद्ध के जीवन और उनके धम्म की विस्तृत व्याख्या।
4. शूद्र कौन थे? (Who Were the Shudras?) – 1946
– शूद्र वर्ण की उत्पत्ति और जाति व्यवस्था की आलोचना।
5. अस्पृश्य कौन थे और वे अस्पृश्य क्यों बने? (The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables?) – 1948
– अस्पृश्यता की ऐतिहासिक जड़ें और कारणों का विश्लेषण।
6. भाषाई राज्यों पर विचार (Thoughts on Linguistic States) – 1955
– भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन पर विचार।
7. पाकिस्तान या भारत का विभाजन (Pakistan or The Partition of India) – 1940
– विभाजन के कारणों और राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण।
8. कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया? (What Congress and Gandhi Have Done to the Untouchables) – 1945
– गांधी और कांग्रेस की दलित नीति की आलोचना।
9. ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास (The Evolution of Provincial Finance in British India) – 1925
– ब्रिटिश भारत की वित्तीय प्रणाली पर आधारित थीसिस।
10. प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति (Revolution and Counter-Revolution in Ancient India) – (अपूर्ण)
– भारतीय इतिहास का सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से विश्लेषण।
11. हिंदू धर्म में पहेलियाँ (Riddles in Hinduism) – (मरणोपरांत प्रकाशित)
– हिंदू धर्मग्रंथों और मान्यताओं की आलोचनात्मक व्याख्या।
12. राज्य और अल्पसंख्यक (States and Minorities) – 1947
– संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा पर प्रस्ताव।
बाबासाहेब अंबेडकर ने समानता, स्वतंत्रता, बंधुता और सामाजिक न्याय को संविधान का फौंडेशन बनाया ।उनके इस योगदान के कारण उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक‘ कहा जाता है।
बौद्ध धर्म की दीक्षा एवं अंतिम समय–
डा.बाबासाहेब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म/धम्म की दीक्षा ली।बाबासाहेब मानते थे कि बौद्ध धर्म ही समानता, करूणा तथा न्याय का सबसे उचीत मार्ग है।6 दिसंबर 1956 को उनका महापरिनिर्वाण हुआ। उन्हें महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ। बुद्ध परंपरा में महापरिनिर्वाण की संकल्पना है।
समारोप —
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है| बल्कि सामाजिक क्रांति की महागाथा है। बाबासाहेब ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दिखायी |परिणामवरुप आज का भारतीय समाज है|आज उनके विचार सबके प्रेरणा का स्रोत बने हुऐ हैं।